घरों के सामने फैले बिजली के तारों के अनोखे राज | टुल्लू क्यो जल जाता है आपका जाने यहाँ पर | Jhusi Gyaan

ये बात शायद आपको कोई न बताए। 
पर शायद आपने खुद से जानने की कोशिश की हो। कौतूहल तो हुआ ही होगा। थोड़ी कोशिश के साथ आपको शायद पता भी चल गई हो ये बात। पर बहुत से लोगो को अभी भी इसके बारे मे नहीं पता, ये जानकारी सभी के लिए है। 
फोटो देखकर अंदाजा तो लग ही गया होगा। जी हाँ, हम झूसी मे फैले इन बिजली के तारो को बात कर रहे हैं। लगभग सभी के घरो के सामने से कुछ ऊंचाई पर बिजली के पोल से 4-5 मोटे-मोटे तार समांतर क्रम से गए है। पूरा झूसी इससे घिरा हुआ है। झूसी मे इन सभी बिजली के तारो का संचालन आपके झूसी पवार-हाउस से होता है। इसका एक सबस्टेशन अपने त्रिवेणीपुरम मे भी है। डिविसन ऑफिसर वही बैठते हैं।

चलिये सीधे मुददे पर ही आते हैं। आखिर इन तारो का क्रम क्या है ? ये ऐसे क्यो लगे हैं ? क्या हमको-आपको इनसे खतरा है ? इनकी सही संख्या क्या है ? 
बहुत सारे सवाल है जिनके जवाब आज आपको मिल जाएंगे। 

ज्यादा तकनीकी नहीं, सीधी भाषा मे आपको बताते हैं ये सब। दरअसल इन सभी बिजली के तारो का काम आपके घरो मे 220 वोल्ट की नियमित सप्लाई देना है जिससे आपके घर के सारे बिजली वाले काम होते हैं। घरो मे इस्तेमाल होने वाले सभी यंत्र लगभग इसी नियम के अंतर्गत बनाए गए होते हैं। 220 वोल्ट से सप्लाई ज्यादा आने पर उपकरणो के जल जाने 

या खराब होने का खतरा होता है। कभी-कभी बिजली विभाग की तरफ से गलती से सप्लाई ज्यादा आने पर झूसी मे अक्सर टुल्लू जल जाने, फ्रिज खराब हो जाने, शॉर्ट सर्किट हो जाना आदि अनेक समस्याएँ होती रहती है। बिजली-विभाग की कोशिश यही रहती है कि 220 वोल्ट सप्लाई को निरंतर बनाए रखा जाये क्योकि इससे कम होने पर तो उपकरण चल भी 

नहीं पाते हैं और लो-वोल्टेज जैसी परेशानी होनी लगती है। आपने कूलर, पंखा आदि लो वोल्टेज होने पर धीमे-धीमे चलते देखा होगा।  कभी-कभी तो चल भी नही पाते। ये सब सप्लाई 220 वोल्ट से कम आने पर होता है। 

आइये अब बिजली के खंभों पर लगे तारो को देखते हैं। 
 हर जगह बिजली के तारो का क्रम अलग-अलग हो सकता है पर अधिकतर और झूसी मे भी थ्री फेज रूल से ही तारो को फैलाया गया है। हमारे घरो मे बिजली आने के लिए 'एक फेज और एक न्यूट्रल' का कनेक्शन चाहिए होता है। 
बिजली-विभाग की तरफ से झूसी मे बिजली के पाँच तार फैलाये गए हैं। आप फोटो देखिये। ऊपर के 1, 2 और 3 नंबर के तार, फेज तार है। ये दिखने मे थोड़े ज्यादा मोटे हैं। 
5वे नंबर का तार 'अर्थ' का है, इसे ही कभी कभी 'न्यूट्रल' भी कहते हैं। 

उदाहरण के तौर पर, झूसी मे किसी के घर बिजली की सप्लाई देनी है तो 1,2 या 3 मे से किसी भी एक से 'फेज' की सप्लाई दे देंगे और न्यूट्रल(अर्थ) जरूर से नीचे वाले 5वे नंबर के तार से देंगे।



बाकी बचे तारो के बारे मे भी बताते हैं आपको,

4थे नंबर वाला तार स्ट्रीट-लैम्प के लिए दिया होता है। इसे कॉलोनी मे ट्यूब लाइट आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बिजली-विभाग का इससे ज्यादा काम नही होता है।

और ये 6वे नंबर का तार 😀😀😃
ये बिजली-विभाग का नही, ये आपके लोकल टीवी केबल वाले भैया का है।

आखिर मे, बता दे कि ये जानकारी सिर्फ आपके ज्ञान को बढ़ाने के लिए दी गयी है, आप इन तारो को छूने, इनके पास जाने या इनमे कटिया फसाने की कोशिश न करे। ये आपके लिए जानलेवा हो सकता है।
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(Photo: नई झूसी, गोला बाजार)

Jhusi Jindabad | Episode - 2 | Hindi Story

झूसी जिंदाबाद- एपिसोड-2

जब मैंने उसे छिपकली कहा तो उसने मुझे गुस्से से ऐसे घूरा कि अगर भारत मे एक कत्ल करना माफ होता तो वो मुझे मार देती। वही दूसरी तरफ उसकी दोनों दबंग सहेलियाँ मुझे देख के हँस रही थी, उनकी हँसी से इतना तो मुझे जरूर समझ मे आ गया कि आज घर पर ये दोनों  इसकी खूब खिचाई करने वाली हैं, और वो मुझे रात भर गालियाँ देने वाली है।
वैसे गालियों से तो मुझे मेरे दोस्तों ने भी न्यायनगर, अक्षय-वाटिका तक जाते-जाते पूरे रास्ते भर नवाजा। सागर ने ओरहन देना शुरू किया, 'ससूर के रहा न जा रहा था तुमसे बिना मुंह खोले?' विक्की ने भी प्रवचन सुनाया, 'बेटा मुंह खोले वो तो ठीक पर इलाहाबादी अल्हड़पन तो तुम्हारा जाना नही है, पूरे बैल बुद्धि हो ससूरे तुम, अबे चश्मा और टोपी तक तो ठीक था पर ये छिपकली का सोच के बोल दिये बे?'

हम शांति से उन दोनों को सुन रहे थे, 'राहुल महाशय , अब मुंह नहीं खोलोगे? बोलोगे भी कुछ या बस यूं ही?' अब हमने जवाब दिया, 'अरे यार! कुछ समझ मे  नही आया बस उसे देखते ही रह गए, जानते हो विक्की उसकी शक्ल से ज्यादा तो हमे उसका बचपना भा गया यार, बिलकुल बच्चों कि तरह पैर पटकती है यार, जैसे किसी बच्चे को बिस्कुट न मिले तो पैर पटक के रोने लगता है उसे भी फुलकी के लिए पैर पटकते, मुंह सिकोड़ते हुवे देखा तो लगा कि अब न रो दे ये, एक बार तो सोचा गुप्ता जी से कह दूँ, भाई पहले मैडम को दे दो'।  विक्की बौखलाते हुवे बोले, 'ससूर के जैसे पैर पटक रही थी ना वैसे ही तुमको भी पटकेगी, देखे नहीं कैसे बौराई थी जब छिपकली कहे हो, ना जाने इंग्लिश मे क्या-क्या गरिया दी, उ तो सुने ना होगे तुम, देखे लो फिर न कहना कि हम कुछ बोले नही'।
हमसे भी अब बरदास न हुआ और झल्ला के बोले, 'जो हुआ सो हुआ, बस इतना जान लो ससूर कि भौजाई तुम्हारी वही छिपकली बनेंगी'। सागर बोले, 'का पता पहले से ही किसी भैया की बन गई हो और हंसने लगा'। हमने कहा, 'भाई की खुशी बर्दाश्त न होगी तुमसे पता था हमे'।
विक्की  बोले, 'अबे मान लो कोई हुआ तो'।  हम कहे, 'अरे! क्यो मान ले बे? तुम ससूर के मोराल डाउन मत करो हमारा और हाँ कल से रोज पावर-हाउस तक घूमने चलना है, का पता किस्मत सही रहे तो दिख जाएगी'।



सागर जी बोले, 'हाँ गुरु कल से तुम्हारे लिए पावर हाउस तक की सैर शुरू, बस किसी तरह नाम और क्लास पता चल जाये तो बाकी का काम तो तुम्हारी भौजाई से करवा लेंगे'
हमने कहा, 'सीखो विक्की, इसे कहते हैं मित्रता, अबसे बेस्ट फ्रेंड वाले निबंध मे हम तुम्हारा नाम नहीं सिर्फ सागर की ही नाम लिखेंगे'। विक्की कहे, 'हाँ तो ठीक है कल से इसी के साथ जाना, हम नहीं चलेंगे'। हम हँसते हुवे बोले, 'अबे मज़ाक कर रहे हैं समझे', खैर अब हम तीनों का घर आ गया था, हम तीनों अपने-अपने घर को चल दिये। आज खाना खाने के बाद मै अपने कमरे मे आया सोचा कुछ पढ़ लूँ  पर दिमाग मे तो वो छिपकली ही थी, मैंने भी कंबल ओढ़कर सोने मे ही भलाई समझी।

आज रात नींद कहाँ आनी थी, बस उसकी ही प्यारी सी सूरत सामने आ जा रही थी। इठलाते हुवे 'ऊ ऊ कितनी ठंडी है' कहते हुवे दोनों हाथो की हथेली को रगड़ती हुई तो कभी अपनी छिपकली प्रिंटेड टोपी को खिचते हुई मानो वो सिर्फ अपने कान ही नही पूरा मुँह ढकना चाहती हो उससे। मुझे तो ऐसा लग रहा था की वो बिलकुल मेरे सामने खड़ी हो और अपने टोपी से अपना मुँह ढकना चाह रही हो और मै भी प्यार से उठता हूँ और उसे बड़ी वाली मंकी कैप पहना देता हूँ, इस मंकी कैप पर भी सामने की तरफ कुछ लकीरों की कोई डिज़ाइन बनी होती है, थोड़ा और ध्यान से देखने पर छिपकली की प्रिंटिंग दिखने लगती है,  बस उसी के बारे मे सोचते-सोचते न जाने कब नींद आ जाती है। 

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